By SHEETAL CHAVAN | published: अगस्त 02, 2019 05:46 PM 2019-02-12T14:15:30+5:30
शहर : मुंबई
शास्त्रों के अनुसार श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि का दिन नाग पंचमी के रुप में मनाया जाता है I नाग पंचमी एक ऐसा ही पर्व है। नाग जहां भगवान शिव के गले के हार हैं। वहीं भगवान विष्णु की शैय्या भी। लोकजीवन में भी लोगों का नागों से गहरा नाता है। इन्हीं कारणों से नाग की देवता के रूप में पूजा की जाती है। सावन मास के आराध्य देव भगवान शिव माने जाते हैं। साथ ही यह समय वर्षा ऋतु का भी होता है जिसमें माना जाता है कि भू गर्भ से नाग निकल कर भू तल पर आ जाते हैं। वह किसी अहित का कारण न बनें इसके लिये भी नाग देवता को प्रसन्न करने के लिये नाग पंचमी की पूजा की जाती है।
नाग पंचमी और श्री कृष्ण का संबंध
नाग पंचमी की पूजा का एक प्रसंग भगवान श्री कृष्ण से जुड़ा हुआ भी बताते हैं। बालकृष्ण जब अपने दोस्तों के साथ खेल रहे थे तो उन्हें मारने के लिये कंस ने कालिया नामक नाग को भेजा। पहले उसने गांव में आतंक मचाया। लोग भयभीत रहने लगे। एक दिन जब श्री कृष्ण अपने दोस्तों के साथ खेल रहे थे तो उनकी गेंद नदी में गिर गई। जब वे उसे लाने के लिये नदी में उतरे तो कालिया ने उन पर आक्रमण कर दिया फिर क्या था कालिया की जान पर बन आई। भगवान श्री कृष्ण से माफी मांगते हुए गांव वालों को हानि न पंहुचाने का वचन दिया और वहां से खिसक लिया। कालिया नाग पर श्री कृष्ण की विजय को भी नाग पंचमी के रूप में मनाया जाता है।
क्यों करते हैं नाग पंचमी पूजा
नाग पंचमी पर नाग देवता की पूजा करने के उपरोक्त धार्मिक और सामाजिक कारण तो हैं ही साथ ही इसके ज्योतिषीय कारण भी हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कुंडली में योगों के साथ-साथ दोषों को भी देखा जाता है। कुंडली के दोषों में कालसर्प दोष एक बहुत ही महत्वपूर्ण दोष होता है। काल सर्प दोष भी कई प्रकार का होता है। इस दोष से मुक्ति के लिये भी ज्योतिषाचार्य नाग पंचमी पर नाग देवता की पूजा करने के साथ-साथ दान दक्षिणा का महत्व बताते हैं।
नाग- पंचमी में क्या न करें
नाग देवता की पूजा -उपासना के दिन नागों को दूध पिलाने का कार्य नहीं करना चाहिए. उपासक चाहें तो शिवलिंग को दूध स्नान करा सकता है. यह जानते हुए की दूध पिलाने से नागों की मृ्त्यु हो जाती है. ऎसे में उन्हें दूध पिलाने से अपने हाथों से अपने देवता की जान लेने के समान है. इसलिये भूलकर भी ऎसी गलती करने से बचना चाहिए. इससे श्रद्वा व विश्वास के शुभ पर्व पर जीव हत्या करने से बचा जा सकता है.