By DAYANAND MOHITE | published: मई 22, 2019 08:04 PM 2019-02-12T14:15:30+5:30
शहर : मुंबई
भारतीय वायुसेना ने पहली बार सुखोई-30 लड़ाकू विमान से ब्रह्मोस मिसाइल को जमीनी टार्गेट पर कामयाबी से इस्तेमाल किया. सुखोई से फायर की गई ब्रह्मोस ने अपने निशाने पर अचूक निशाना लगाया और उसे पूरी तरह तबाह कर दिया. ब्रह्मोस को सुखोई के जरिए 22 नवंबर 2017 को समुद्र में निशाने के तौर पर इस्तेमाल होने वाले एक जहाज पर फायर किया जा चुका है. लेकिन ज़मीनी निशाने पर कामयाबी से हमला एक बड़ी उपलब्धि है. यानि अब भविष्य में बालाकोट जैसे किसी ठिकाने को तबाह करने के लिए फ़ाइटर एयरक्राफ्ट भेजने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी. बल्कि उसे 300 किमी दूर से ही ब्रह्मोस के ज़रिए तबाह किया जा सकेगा.
भारतीय वायुसेना लंबे अरसे से ब्रह्मोस को सुखोई 30 से फायर करने के लिए काम कर रही है. ब्रह्मोस भारत और रूस के सहयोग से बनाई गई है, जिसे पहले जमीन से फायर करने के लिए बनाया गया था. बाद में इसे नौसेना के जंगी जहाजों में भी लगाया गया, लेकिन किसी फाइटर एयरक्राफ्ट से फायर करने के लिए खासी मशक्कत करनी पड़ी.
पहले रूस से सहयोग मांगा गया, लेकिन लागत बहुत ज्यादा बढ़ जाने की वजह से वह योजना ठंडे बस्ते में चली गई. बाद में हिंदुस्तान एयरनॉटिक्स लिमिटेड ने इसकी ज़िम्मेदारी ली. इसके लिए सुखोई-30 में कुछ बदलाव करने पड़े और ब्रह्मोस मिसाइल में भी बदलाव किए गए. फाइटर एयरक्राफ्ट से फ़ायर करने के लिए मिसाइल का वजन घटाकर 2.5 टन किया गया.
22 नवंबर 2017 को समुद्र में जहाज पर फायर करने के बाद ज़मीनी निशाने पर सटीक फायर करने के लिए भी दो साल तैयारी की गई. जमीन पर फायर करने के लिए मिसाइल को ज्यादा सटीक होना चाहिए. ताकि न केवल निशाने को तबाह किया जा सके बल्कि आसपास किसी किस्म के नुकसान को भी टाला जा सके. सुखोई-30 से ब्रह्मोस की कामयाबी से वायुसेना की मारक क्षमता में जबरदस्त बढ़ोत्तरो होगी. ब्रह्मोस की 300 किमी की रेंज में फ़ायटर एयरक्राफ्ट की रेंज भी मिल जाने से अब दुश्मन के बहुत दूर के ठिकाने भी अब वायुसेना की मार में होंगे. ब्रह्मोस सुपरसोनिक मिसाइल है, जिसकी रफ्तार 2.8 मैक है. यानि ये आवाज़ की रफ्तार से ढाई गुना रफ्तार से हमला करेगी.
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