By DAYANAND MOHITE | published: दिसंबर 01, 2019 08:55 PM 2019-02-12T14:15:30+5:30
शहर : राष्ट्रीय
सकल घरेलू उत्पाद दरों में गिरावट का आंकड़ा 130 करोड़ देशवासियों की धड़कनें बढ़ा रहा है. इसी बीच केंद्र सरकार ने आगामी बजट की तैयारियों की रफ्तार बढ़ा दी है.
मोदी सरकार के इस बजट से न केवल आम उपभोक्ता और करदाता को उम्मीदें हैं, साथ ही उद्यमियों, कारोबारियों और नए स्टार्टअप्स के जरिए भविष्य का तानाबाना बुन रहे युवाओं को भी उम्मीदें हैं. सरकार का खजाना आय कम होने से चमक खो रहा है, लेकिन उत्पाद मांग बढ़ाना बजट की चुनौती है, ऐसे में राहतों की बात बजट में संभावित है. मंत्रालय को आर्थिक वृद्धि में नरमी और राजस्व संग्रह में कमी के महत्वपूर्ण मसलों का समाधान करना है. यह नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली सरकार के दूसरे कार्यकाल में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का दूसरा बजट होगा.
उत्पाद मांग बढ़ाना बजट की चुनौती
वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण वित्त वर्ष 2020-21 का बजट 01 फरवरी, 2020 को संसद में पेश करेंगी. इससे पहले आंकड़े जुटाने, राज्यों की मांगों का अध्ययन करने और केंद्र की योजनाओं के क्रियान्वयन की वास्तविक स्थिति जुटाने का काम रफ्तार पर है. बजट से पहले वित्त मंत्रालय जहां विभिन्न क्षेत्रों के प्रतिनिधियों और अंशधारकों के साथ बजट पूर्व विचार-विमर्श करता है.
वहीं यह पहली बार है, जब वित्त मंत्रालय के राजस्व विभाग ने सर्कुलर जारी कर व्यक्तिगत तौर पर लोगों और कंपनियों के लिए आयकर दरों में बदलाव के साथ ही उत्पाद शुल्क और सीमा शुल्क जैसे अप्रत्यक्ष करों में बदलाव के लिए भी सुझाव मांगे है. प्रदेश के कारोबारी भी केंद्र के इस बजट से उद्यमों के थमने जा रहे चक्कों में नई रफ्तार चाहते हैं.
लागत भार घटाने के लिए कम हो कर का बोझ
राजस्थान के उद्यमियों का कहना है कि ऑटो सेक्टर के थमने से प्रदेश की अधिकतर स्टील, रोलिंग और कंपोनेंट उत्पाद निर्माता ईकाईयां उत्पाद मांग घटने से संकट में है. केंद्र सरकार को इस सेक्टर को बूस्ट करने के लिए बजट में कुछ खास प्रावधान करने चाहिए ताकि सहयोगी इंडस्ट्री भी रफ्तार पकड़ सकें.
उद्यमी संजीव डंगायच और निर्मल जैन का कहना है कि बजट इस बार बड़ी रियायतों का होना चाहिए. इंफ्रा, रियल एस्टेट और जेम्स एंड ज्वैलरी सेक्टर को मजबूती देनी होगी. उद्यमी अनुपम माथुर का कहना है कि टैक्सटाइल सेक्टर को भी बूस्ट अप करने की आवश्यकता है. उद्यमी मुनेश जैन का कहना है कि निर्माण सेक्टर इस समय सुस्ती के दौर से गुजर रहा है, बिजली दरों में जबरदस्त इजाफा है. लागत भार तेजी से बढ़ रहा है ऐसे में उद्योगों को सीधे तौर पर राहत देने का काम बजट में होना चाहिए. कर सुधारों में भी सरलीकरण समय पर होने चाहिए.
राहत की पूरी उम्मीद
वित्त वर्ष 2020-21 का बजट एक फरवरी को पेश किया जाएगा. यह वह वक्त भी होगा जब तीसरी तिमाही के आंकड़े अंतिम रुप ले रहे होंगे, वैश्विक मंदी की आहट ओर नजदीक होगी. ऐसे में समय में अगर केंद्र सरकार का बजट मांग क्षेत्र को बढ़ावा देने वाला रहा तो पांच ट्रिलियन इकॉनामी के लक्ष्य की ओर बढ़ने वाला कदम माना जाएगा.
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