By DAYANAND MOHITE | published: अगस्त 22, 2019 06:46 PM 2019-02-12T14:15:30+5:30
शहर : मुंबई
गोस्वामी तुलसीदासजी ने रामचरित मानस में लिखा है- कर्म प्रधान विश्व करि राखा, जो जस करहिं सो तस फल चाखा। अर्थात किसी भी व्यक्ति कर्म चाहे वे सद्कर्म हों या दुष्कर्म, कभी पीछा नहीं छोड़ते। और, उसी के अनुरूप व्यक्ति को फल भोगना ही पड़ता है।यदि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और केन्द्र सरकार में पूर्व वित्त एवं गृहमंत्री रहे पी. चिदंबरम के संदर्भ में बात करें तो संभवत: ऐसा ही प्रतीत होता है। लंबे समय से जेल में सजा काट रहे बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू यादव भी इसका उदाहरण हो सकते हैं।
क्या हैं आरोप -: चिदंबरम को 350 करोड़ रुपए के आईएनएक्स मीडिया मामले में कोर्ट से अग्रिम जमानत याचिका खारिज हो जाने के बाद सीबीआई ने गिरफ्तार कर लिया है।आरोप के मुताबिक चिदंबरम के बेटे कार्ति को आईएनएक्स मीडिया को 2007 में एफआईपीबी से मंजूरी दिलाने के लिए कथित रूप से रिश्वत लेने के आरोप में 28 फरवरी 2018 को गिरफ्तार किया गया था।
ईडी ने 2007 में विदेश से 305 करोड़ की राशि प्राप्त करने के लिए आईएनएक्स मीडिया को एफआईपीबी मंजूरी देने में कथित तौर पर अनियमितता का आरोप लगाया है। INX मीडिया के पीटर और इंद्राणी मुखर्जी ने उस समय वित्तमंत्री रहे पी. चिदंबरम से मुलाकात की थी।हालांकि इसे भाजपा सरकार की बदले की कार्रवाई से भी जोड़ा जा रहा है, क्योंकि जिस समय पी. चिदंबरम केन्द्र सरकार में गृहमंत्री थे, उस समय सोहराबुद्दीन शेख एनकाउंटर मामले में अमित शाह (वर्तमान केंद्रीय गृहमंत्री) को गिरफ्तार कर जेल में डाला गया था।लेकिन, चिदंबरम का एक दूसरा पहलू भी। उनकी पारिवारिक पृष्ठभूमि को जानकर कोई भी चौंक सकता है और उसके मन में पहला सवाल यही उठेगा कि क्या चिदंबरम इस तरह का भ्रष्टाचार भी कर सकते हैं? चिदंबरम एक अच्छे खानदान से आते हैं और उच्च शिक्षित भी हैं। बीए, एलएलबी के अलावा उन्होंने प्रसिद्ध हॉर्वर्ड बिजनेस स्कूल से एमबीए भी किया है।
नाना को मिली थी राजा की उपाधि : पी. चिदंबरम के नाना एसआरएम अन्नामलाई चेट्टियार अपने जमाने के जाने-माने उद्योगपति थे, साथ ही इंडियन बैंक के सह-संस्थापक भी थे। चेट्टियार शिक्षाविद होने के साथ ही अन्नामलाई यूनिवर्सिटी के संस्थापक भी थे। उन्होंने 1923 में राजा की उपाधि से सम्मानित किया गया था।दादा भी कम नहीं थे : चिदंबरम के दादा भी कम नहीं थे। वे यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस और इंडियन बैंक के सह-संस्थापक थे। वे अन्नामलाई यूनिवर्सिटी और ओवरसीज बैंक के सह-संस्थापक थे।ये सब जानकर चौंकना स्वाभाविक है कि इतने बड़े परिवार का व्यक्ति और दिग्गज राजनेता क्या इस तरह के भ्रष्टाचार में भी शामिल हो सकता है? जब तक कोर्ट में कुछ साबित न हो जाए तब तक कुछ भी कहना मुश्किल है। लेकिन, वर्तमान घटनाक्रम से उनके प्रतिष्ठित परिवार की छवि तो धूमिल हुई ही है।
यह भी उतना ही बड़ा सत्य है कि पैसा कभी भी प्रतिष्ठा से बड़ा नहीं होता, क्योंकि किसी भी व्यक्ति के इस दुनिया से विदा होने के बाद पैसा यहीं रह जाता है, लेकिन उसे उसके पैसे से नहीं बल्कि सद्कर्मों के लिए ही याद किया जाता है।
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