By DAYANAND MOHITE | published: October 05, 2020 01:26 PM 2019-02-12T14:15:30+5:30
शहर : आंतरराष्ट्रीय
पाकिस्तान (Pakistan) में आंतरिक घमासान के बीच पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने एक ऐसा बयान दे दिया, जो सुर्खियों में है. शरीफ ने मौजूदा पीएम इमरान खान (Imran Khan) पर आरोप लगता हुए अपने दौर में सेना और सैनिकों के विकास की बात का दावा किया. आवेश में वे यह भी कह गए कि पाकिस्तान जिस बाबर मिसाइल (Babur missile) पर इतरा रहा है, वो उन्हीं के कार्यकाल में अमेरिका के टॉमहॉक मिसाइल की नकल करके बनाई गई थी. इसके बाद से वो अमेरिकी मिसाइल खूब चर्चा में है, जिसकी चोरी-चुपके पाकिस्तान नकल कर चुका है.
क्या है ताजा मामला
असल में इलाज के नाम पर लंदन गए और वहीं रह रहे शरीफ पर अब मौजूदा सरकार वापस लौटने का दबाव बना रही है. शरीफ पर कई आरोप भी हैं. ऐसे में वे वापस लौटने की बजाए लंदन से ही अपने विरोधी इमरान खान पर निशाना साध रहे हैं. इसी सिलसिले में उन्होंने अपने दौर में पाक सेना के कमालों की दुहाई देते हुए बाबर मिसाइल की बात कर डाली.
जिंदा मिसाइल हाथ लग गई थी शरीफ के मुताबिक उनके कार्यकाल में साल 2000 के दौरान उनके सैन्य इंजीनियरों ने सीधे अमेरिकी टॉमहॉक मिसाइल को कॉपी करके ये मिसाइल बनाई थी. शरीफ के मुताबिक तत्कालीन अमेरिकी सरकार तब अफगानिस्तान पर काफी सख्त थी. वो उसपर मिसाइल गिरा रही थी. इसी दौरान एक मिसाइल बिना फटे पाक सेना के हाथ लग गई. ये टॉमहॉक मिसाइल थी. सेना ने शरीफ के कहने पर इसकी रिवर्स इंजीनियरिंग की और इस तरह से बाबर मिसाइल बनी.
क्या खूबियां हैं टॉमहॉक में
टॉमहॉक मिसाइल अमेरिका के सैन्य खजाने की कुछ बेहतरीन मिसाइलों में से एक मानी जाती है. ये इतनी कारगर है कि बड़े से बड़ा दुश्मन भी खौफ खाए. इसकी कई खासियतें हैं. जैसे ये लंबी दूरी की जमीन पर वार करने वाली मिसाइल है, जो बारिश या ठंड के मौसम में भी उतनी ही कुशलता से काम करती है. सबसे पहले ये सत्तर के दशक में बनी, जिसके बाद से अब तक इसे कई गुना ज्यादा मॉडर्न बनाया जा चुका है.
इसका स्ट्रक्टचर कुछ ऐसा है कि ये सभी तरह के बमों के साथ जोड़ा जा सकता है. हाल ही में साल 2018 में सीरिया में केमिकल वेपन के खिलाफ अमेरिका ने इसका इस्तेमाल किया था. सबसे पहले इसका इस्तेमाल खाड़ी युद्ध के दौरान 90 की शुरुआत में हुआ था.
कहीं से भी खोज निकालते हैं टारगेट को
फिलहाल टॉमहॉक मिसाइल के 7 अहम संस्करण हैं, जिनकी सबसे बड़ी खासियत उनमें लगे सेंसर हैं, जो दुश्मन को कहीं से भी खोज निकालते हैं. इस मिसाइल को दो हजार किलोमीटर दूरी से भी छोड़ा जा सकता है जिससे दुश्मन को भारी नुकसान पहुंचाया जा सकता है. ये इसे नौसेना के सभी जहाजों और पनडुब्बी से छोड़ी जा सकती है.
रडार से है सुरक्षित
हरेक मिसाइल लगभग हजार किलोग्राम वजन तक की विस्फोटक सामग्री ढो सकती है. अमेरिकी सेना का दावा है कि नीचे की ओर उड़ने वाली ये मिसाइल किसी रडार की पकड़ में नहीं आ सकती. 880 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से लक्ष्य की ओर जाने वाली इस मिसाइल में जीपीएस लगा होता है, जिससे ये शिकार को पहचाकर बीच में मोड़ी या आगे-पीछे तक की जा सकती है.
क्या है बाबर का काम
वहीं रिवर्ज तकनीक पर बनी पाकिस्तान बाबर मिसाइल लगभग 700 किलोमीटर तक वार कर सकती है. मिसाइल दुश्मन के हवाई सुरक्षा साधनों के भीतर प्रवेश करने और रडार से बचने के लिए बनाई गई थी, और साल 2005 से इसका भारी संख्या में निर्माण हो चुका है.
चीन ने भी अमेरिका की नकल
वैसे पाकिस्तान का करीबी दोस्त चीन भी कथित तौर पर अमेरिकी तकनीकें चुराने का आदी रहा है. जिस चेंगदू J-20 पर चीन लगातार डींग हांकता रहा है, वो अमेरिका से चुराया हुआ माना जाता है. इस बारे में विदेशी एक्सपर्ट इसलिए भी यकीन से कह रहे हैं क्योंकि चीन पहले से ही गुप्त सूचनाएं और जानकारी चुराने के लिए संदेह में घिरा रहा है. इस बारे में नेशनल इंट्रेस्ट के डिफेंस एडिटर क्रिस ऑसबॉर्न लिखते हैं कि चीनी और अमेरिकी विमानों के बीच इतनी समानता का होना चीन की चोरी की तरफ इशारा करता है.
क्यों माना जा रहा है ऐसा
डिफेंस एडिटर ऑसबॉर्न के अनुसार जे -20 पर एक सरसरी नजर डालने भर से एफ -35 से समानताएं दिखने लगती हैं. और चूंकि चीनी विमान अमेरिकी विमान से काफी बाद में बना है इसलिए नकल की आशंका बढ़ जाती है. दोनों विमानों की विंग बॉडी और आंतरिक संरचना एक जैसी है. यहां तक कि एग्जहॉस्ट पाइप में भी समानता है
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