By DAYANAND MOHITE | published: मई 28, 2019 01:58 PM 2019-02-12T14:15:30+5:30
शहर : मुंबई
वीर सावरकर की जयंती पर पीएम नरेंद्र मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने ट्वीट कर उन्हें नमन किया है। पीएम ने लिखा कि सावरकर ने बहुत से लोगों को राष्ट्र निर्माण के लिए प्रेरित किया। उन्हीं की प्रेरणा से सैकड़ों लोगों ने खुद को देश की स्वतंत्रता के लिए लगा दिया। पीएम ने कहा, 'वीर सावरकर एक मजबूत भारत के लिए साहस, देशभक्ति और असीम प्रतिबद्धता का प्रतीक हैं।' वहीं बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने ट्विटर पर लिखा, वीर सावरकर एक ऐसे अद्वितीय क्रांतिकारी थे जिन्होंने करोड़ों लोगों के हृदय में उत्कृष्ट राष्ट्रभक्ति का दीप प्रज्ज्वलित किया। उन्होंने भारतीय राजनीति में तुष्टिकरण की नीति का पुरजोर विरोध किया और उसे भारत के लिए बड़ा खतरा बताया।
आइये जानते हैं वीर सावरकर के जीवन के बारे में:
1. वीर सावरकर का जन्म 28 मई 1883 को हुआ था और उनका निधन 82 वर्ष की आयु में 26 फरवरी 1966 को हुआ। वह एक राजनेता, वकील और लेखक भी थे।
2. आजादी के लिए काम करने के लिए उन्होंने एक गुप्त सोसायटी बनाई थी, जो 'मित्र मेला' के नाम से जानी गई। 1905 के बंग-भंग के बाद उन्होंने पुणे में विदेशी वस्त्रों की होली जलाई।
3. 1909 में लिखी पुस्तक 'द इंडियन वॉर ऑफ इंडिपेंडेंस-1857' में सावरकर ने इस लड़ाई को ब्रिटिश सरकार के खिलाफ आजादी की पहली लड़ाई घोषित किया।
4. अंग्रेज अधिकारी जैक्सन की हत्या और अंग्रेजी शासन के खिलाफ विद्रोह के आरोप में सावरकर को भी दो बार की कालापानी की सजा सुनाई गई। सावरकर 1911 से 1921 तक अंडमान जेल में रहे।
5.1937 में वे हिन्दू महासभा के अध्यक्ष चुने गए।
6. कुछ इतिहासकार सावरकर को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के हिंदुत्व का जनक बताते हैं।
7. अंडमान से वापस आने के बाद सावरकर ने ''हिंदुत्व: हिन्दू कौन हैं" नामक एक पर्चा लिखा था जो बाद में पुस्तिका के रूप में प्रकाशित हुआ। माना जाता है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की स्थापना के पीछे इस पुस्तिका ने प्रेरणा का काम किया था।
8. सावरकर 1948 में हुई महात्मा गांधी की हत्या के आठ आरोपितों में से एक थे। हालांकि उन्हें बरी कर दिया गया।
9. 1966 में सावरकर ने स्वेच्छा से खाना-पीना बंद करके अपने प्राण त्याग दिए।
10. वर्ष 2000 में वाजपेयी सरकार ने तत्कालीन राष्ट्पति केआर नारायणन के पास सावरकर को भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान 'भारत रत्न' देने का प्रस्ताव भेजा था, लेकिन उन्होंने उसे स्वीकार नहीं किया था।
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