By DAYANAND MOHITE | published: अगस्त 26, 2019 11:30 AM 2019-02-12T14:15:30+5:30
शहर : राष्ट्रीय
G7 (ग्रुप ऑफ सेवन) का 45वां शिखर सम्मेलन फ्रांस के बियारित्ज में आयोजित किया जा रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समिट में हिस्सा लेने के लिए बियारित्ज पहुंच चुके हैं. सात विकसित देशों के इस समूह (G-7) की बैठक में भारत विशेष आमंत्रित सदस्य है. पीएम मोदी फ्रांस में 25 और 26 अगस्त को पर्यावरण, जलवायु, महासागरों और डिजिटल परिवर्तन के सत्रों में फ्रांसीसी राष्ट्रपति के आमंत्रण पर जी-7 शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे. वैसे भारत इस समूह का सदस्य नहीं है. G-7 दुनिया के सात अमीर देशों का समूह है जिसमें फ्रांस, जर्मनी, यूके, इटली, अमेरिका, कनाडा और जापान शामिल हैं.
क्या करता है ये समूह
जी-7 दुनिया की सात सबसे बड़ी कथित विकसित और उन्नत अर्थव्यवस्था वाले देशों का समूह है, जिसमें कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान, ब्रिटेन और अमरीका शामिल हैं. इसे ग्रुप ऑफ़ सेवन भी कहते हैं. समूह खुद को "कम्यूनिटी ऑफ़ वैल्यूज" यानी मूल्यों का आदर करने वाला समुदाय मानता है. स्वतंत्रता और मानवाधिकारों की सुरक्षा, लोकतंत्र और क़ानून का शासन और समृद्धि और सतत् विकास, इसके प्रमुख सिद्धांत हैं. शुरुआत में यह छह देशों का समूह था, जिसकी पहली बैठक 1975 में हुई थी. इस बैठक में वैश्विक आर्थिक संकट के संभावित समाधानों पर विचार किया गया था. अगले साल कनाडा इस समूह में शामिल हो गया और इस तरह यह जी-7 बन गया.
आखिर G7 की जरूरत क्यों पड़ी?
70 के दशक में दुनिया के कई देशों को आर्थिक संकट गहराया. दो बड़े संकट तेल संकट और फिक्स्ड करेंसी एक्सचेंज रेट्स के सिस्टम का ब्रेक डाउन थे. 1975 में जी6 की पहली बैठक आयोजित की गई, जिसमें इन आर्थिक समस्याओं के संभावित समाधानों पर विचार किया गया. सदस्य देशों ने अंतरराष्ट्रीय आर्थिक नीति पर समझौता किया और वैश्विक आर्थिक मंदी से निपटने के लिए समाधान निकाले.
चीन और रूस जी-7 का हिस्सा क्यों नहीं है?
चीन G20 का हिस्सा है, लेकिन G7 में शामिल नहीं है. चीन दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवथा है, फिर भी जी7 का हिस्सा नहीं है. इसकी वजह ये है कि चीन में सबसे ज्यादा आबादी है और प्रति व्यक्ति आय संपत्ति जी7 देशों के मुकाबले बहुत कम है. ऐसे में चीन को उन्नत या विकसित अर्थव्यवस्था नहीं माना जाता है. बात रूस की करें तो उसने 2014 में यूक्रेन के काला सागर प्रायद्वीप क्रीमिया पर कब्जा कर लिया था. इसके बाद रूस को G8 से बाहर कर दिया गया था. रूस के इस अतिक्रमण को अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने कभी मान्यता नहीं दी. G7 के देशों का मानना है कि वो किसी भी ऐसे फैसले को समर्थन नहीं देंगे जो अंतरराष्ट्रीय कानूनों के मुताबिक सही नहीं हो.
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