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CM पिता की मौत के बाद कांग्रेस ने भी छोड़ा साथ, 10 सालों से अपने दम पर पलटी किस्‍मत

By DAYANAND MOHITE | published: मई 27, 2019 02:06 PM 2019-02-12T14:15:30+5:30

CM पिता की मौत के बाद कांग्रेस ने भी छोड़ा साथ, 10 सालों से अपने दम पर पलटी किस्‍मत

शहर : राष्ट्रीय

'तमाम रिश्तों को मैं घर पे छोड़ आया था, फिर उसके बाद मुझे कोई अजनबी नहीं मिला...' मशहूर शायर बशीर बद्र की कलम से निकले ये चंद अल्‍फ़ाज आंध्र प्रदेश के नए मुख्‍यमंत्री जगन मोहन रेड्डी के सियासी सफर को बयां करने के लिए काफी हैं. महज दस साल पहले जगह मोहन रेड्डी ने अपने मरहूम पिता के नाम पर जिस वाईएसआर कांग्रेस की शुरूआत की थी, आज वह पार्टी न केवल बुलंदियों के शिखर पर है, बल्कि आंध्र प्रदेश के सियासी महारथियों को चारों खाने चित्‍त कर सरकार बनाने जा रही है. जगन ने इस पार्टी की नींव उस दौर में रखी थी, जब उनके पिता और आंध्र प्रदेश के तत्‍कालीय मुख्‍यमंत्री वाईएस राजेशखर रेड्डी ही हेलीकॉप्‍टर दुर्घटना में मृत्‍यु हो गई थी, और उनकी अपनी पार्टी ने उनको दुत्‍कार कर अलग फेंक दिया था.

 आंध्र प्रदेश के नए मुख्‍यमंत्री के तौर पर 30 मई को शपथ लेने जा रहे जगन मोहन रेड्डी के सियासी सफर की शुरूआत 2004 के विधानसभा चुनाव के दौरान हुई थी. उस समय जगन मोहन रेड्डी के पति वाईएस राजशेखर रेड्डी की गिनती आंध्र प्रदेश के शीर्ष कांग्रेसी नेता के तौर पर होती थी. 2004 में जगन मोहन रेड्डी ने न केवल पार्टी का जमकर प्रचार किया, बल्कि पार्टी को सत्‍ता तक पहुंचाने में अहम भूमिका निभाई. जगन मोहन रेड्डी की मेहनत का फल उनके पिता को मिला और वे 14 मई 2004 को आंध्र प्रदेश के मुख्‍यमंत्री बने. आंध्र प्रदेश में वाईएस राजशेखर रेड्डी के नेतृत्‍व में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद भी जगन मोहन रेड्डी पार्टी की नींव को सूबे में मजबूत करने में लगे रहे. 2009 के लोकसभा चुनाव में जगन मोहन रेड्डी ने कडपा संसदीय क्षेत्र से चुनाव लड़ा और पहली बार संसद के गलियारों तक पहुंचने में कामयाब रहे.

पिता की मृत्‍यु के बाद शुरू हुआ जगन का सियासी संघर्ष

अपने पिता और आंध्र प्रदेश के तत्‍कालीन मुख्‍यमंत्री वाईएस राजशेखर रेड्डी के जीवित रहते जगन मोहन रेड्डी ने अपनी सियासी जमीन लगभग तैयार कर ली थी. लेकिन, कांग्रेस के ज्‍यादातर शीर्ष नेता इसका श्रेय जगन को देने की बजाय उनके पिता वाईएस राजशेखर रेड्डी को दे रहे थे. कांग्रेस से शीर्ष नेताओं की यही सोच जगन मोहन रेड्डी के सियासी सफर में सबसे बड़ी चुनौती बन गई थी. इसी बीच, सितंबर 2009 में एक हेलीकॉप्‍टर दुर्घटना में तत्‍कालीन मुख्‍यमंत्री एवं जगन मोहन के पिता वाईएस राजशेखर रेड्डी की मृत्‍यु हो गई. जिसके बाद, तत्‍कानीय कांग्रेस विधायकों ने वाईएस राजशेखर रेड्डी की लोकप्रियता को देखते हुए उनकी सियासी विरासत को जगन मोहन रेड्डी हवाले करने की सिफारिश की, जिसको कांग्रेस आला कमान ने नकार दिया. कांग्रेस आलाकमान ने जगन मोहन रेड्डी को नजरअंदाज कर पहले के. रोसैया और बाद में एन. किरण कुमार रेड्डी को आंध्र प्रदेश का मुख्‍यमंत्री बनाया.

आलाकमान की उपेक्षा से दुखी जगन ने शुरू की यात्रा

कांग्रेस आलाकमान की उपेक्षा से दुखी जगन मोहन रेड्डी ने अपने पिता वाईएस राजशेखर रेड्डी की मृत्‍यु से करीब छह महीने बाद एक यात्रा की शुरूआत की. यह यात्रा सूबे में खुदकुशी करने वाले लोगों को समर्पित थी. जगन मोहन रेड्डी की इस यात्रा को जनता का खासा समर्थन मिला. उधर, इस यात्रा के जरिए जगन मोहन रेड्डी का बढ़ता सियासी कद कांग्रेस आलाकमान को खलने लगा. कांग्रेस आलाकमान ने जगन मोहन रेड्डी से तत्‍काल इस रात्रा को स्‍थगित करने के लिए कहा. अब तक जगन मोहन रेड्डी को कांग्रेस आलाकमान के मंसूबे समझ आने लगे थे. जिसके चलते, उन्‍होंने कांग्रेस आलाकमान के निर्देश को नजरअंदाज कर अपनी यात्रा जारी रखी. जिसका नतीजा यह हुआ कि जगन मोहन रेड्डी को कांग्रेस से बाहर का रास्‍ता दिखा दिया गया. कांग्रेस आलाकमान का यह सख्‍त कदम भी जगन मोहन रेड्डी के मजबूत इरादों को तोड़ने में नाकामयाब रहा.

कांग्रेस से बाहर होने के बाद जगन ने बनाई वाईएसआर कांग्रेस

आंध्र की राजनीति को बेहद करीब से देखने वाले एक वरिष्‍ठ पत्रकार के अनुसार, जगन मोहन रेड्डी के पास अपने सियासी सफर को बरकरार रखने के लिए बेहद सीमित विकल्‍प बचे थे. पहला, विकल्‍प कांग्रेस आलाकमान के सामने हथियार डालकर यात्रा रद्द करने का था,  वहीं दूसरा विकल्‍प खुद की पार्टी का गठन कर आगे बढ़ने का था. जगन मोहन रेड्डी ने दूसरे विकल्‍प का चुनाव किया और 7दिसंबर 2010 को नई पार्टी के गठन का ऐलान कर दिया. मार्च 2011 में जगन मोहन रेड्डी ने अपने पिता वाईएस राजशेखर रेड्डी के नाम पर नई पार्टी का ऐलान पूर्वी गोदावरी जिले में कर दिया. जगन मोहन ने अपनी पार्टी का नाम वाईएसआर कांग्रेस रखा. जिसके बाद, जगन मोहन ने पहली बार बतौर वाईएसआर कांग्रेस अध्‍यक्ष कडपा संसदीय क्षेत्र से उप चुनाव लड़ा और पांच लाख से अधिक अंतर के साथ जीत हासिल की.

आय से अधिक संपत्ति मामले में जाना पड़ा जगन को जेल

अपने सियासी सफर में भले ही जगन मोहन रेड्डी एक के बाद एक सफलता हासिल करते जा रहे थे, लेकिन मुसीबतें उनका पीछा नहीं छोड़ रहीं थीं. 2012 में सीबीआई ने जगन मोहन रेड्डी के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति का मामला दर्ज किया. जिसके चलते उन्‍हें जेल जाना पड़ा. सीबीआई की इस कार्रवाई को जगन के परिवार ने राजनैतिक बदले की भावना से की गई कार्रवाई बताया. इसी बीच, केंद्र की यूपीए सरकार ने आंध्रप्रदेश को दो हिस्‍सों में बांटकर तेलंगाना राज्‍य के गठन का ऐलान कर दिया. जिससे नाराज, जगन मोहन रेड्डी जेल में भूख हड़ताल पर बैठ गए. 125 घंटे तक लगातार भूख हड़ताल में रहने के चलते जगन की हालत खराब होने लगी, जिसके चलते उन्‍हें अस्‍पताल में भर्ती कराया पड़ा. लंबे समयांतराल के बाद जगन को जेल से रिहा कर दिया गया. जिसके बाद, उन्‍होंने तेलंगाना राज्‍य के गठन के विरोध में अपने सियासी सफर को आगे बढ़ाया.

3 साल पुरानी YSRकांग्रेस ने विधानसभा में हासिल की 65 सीटें

आधिकारिक तौर पर 2011 में जमीन पर आई वाईएसआर कांग्रेस ने महज तीन साल के अंतराल में बडे़ सियासी मुकाम हासिल करना शुरू कर दिए थे. 2014 में हुए सूबे के विधानसभा चुनाव में जगन मोहन रेड्डी की वाईएसआर कांग्रेस ने 175 में से 67 सीटों पर जीत हासिल की. इस चुनाव में वाईएसआर कांग्रेस और सत्‍ता हासिल करने वाली चंद्रबाबू नायडू की तेलगू देशम पार्टी के बीच महज 2 फीसदी वोट का अंतर था. अब तक जगन मोहन रेड्डी को समझ में आ गया था कि कामयाबी अब उनसे ज्‍यादा दूर नहीं है. अपने सियासी सफर को आगे बढ़ाने के लिए उन्‍होंने 6 नवंबर 2017 को प्रजा संकल्‍प यात्रा की शुरूआत की. करीब 430 दिन चली इस यात्रा में जगन ने 13 जिलों की 125 विधानसभा क्षेत्रों का दौरा किया. 6 नवंबर 2017 से 9 जनवरी 2019 तक चली इस यात्रा में जगन मोहन रेड्डी ने करीब 3000 किमी का सफर तय किया.

विशाखापट्टनम एयरपोर्ट के लाउंज में जगन पर हुआ हमला

25 अक्‍टूबर 2018 को जगन मोहन रेड्डी विशाखापट्टनम से हैदराबाद के लिए रवाना होने वाले थे. उन्‍हें हैदराबाद की सीबीआई कोर्ट के समक्ष पेश होना था. विशाखापट्टनम एयरपोर्ट के वीवीआईपी लाउंट में जिस वक्‍त वे अपनी फ्लाइट की बोर्डिंग का इंतजार कर रहे थे, उसी दौरान एक शख्‍स ने उन पर चाकू से हमला किया. इस हमले में जगन का कंधा जख्‍मी हो गया, जिसके चलते उनको एक सर्जरी से भी गुजरना पड़ा. एयरपोर्ट पर हुए इस हमले ने न केवल सुरक्षा व्‍यवस्‍था पर सवाल खड़े किए, बल्कि जगन मोहन रेड्डी के प्रति सहानुभूति की लहर पूरे आंध्र प्रदेश में दौड़ पड़ी. जिसका फायदा उन्‍हें अपने सियासी सफर के दौरान भी मिला.

2019 के चुनाव में महाशक्ति बनके उभरे जगन मोहन रेड्डी

अब वह वक्‍त आ गया था जब जगन मोहन रेड्डी को अपने दस साल की मेहनत का फल मिलने वाला था. 2019 के लोकसभा और विधानसभा चुनाव में जगन मोहन रेड्डी की वाईएसआर कांग्रेस ने जबरदस्‍त सफलता हासिल की. वाईएसआर कांग्रेस ने आंध्र प्रदेश विधानसभा की 175 में से 152 सीटों पर जीत दर्ज की. वहीं सूबे में लोकसभा की 25 सीटों में 22 सीटों पर वाईएसआर कांग्रेस के प्रत्‍याशी जीते. जगन मोहन रेड्डी की इस जीत ने न केवल तेलगू देशम पार्टी के चंद्रबाबू नायडू और कांग्रेस को हासिए पर खड़ा कर दिया. 30 मई 2019 को जगन मोहन रेड्डी अब सूबे के मुख्‍यमंत्री के तौर पर शपथ लेने की तैयारी में हैं.

 

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