By DAYANAND MOHITE | published: मार्च 21, 2020 03:37 PM 2019-02-12T14:15:30+5:30
शहर : राष्ट्रीय
सत्ता के लिए एक दूसरे के जान के दुश्मन नज़र आने वाले नेता रिश्तों को लेकर कितने संजीदा होते हैं, कमलनाथ ने ये साबित कर दिया. जब कमलनाथ राज्यपाल को अपना इस्तीफ़ा सौपने जा रहे थे, उससे पहले उन्होंने सिर्फ सोनिया गांधी और कांग्रेस के नेताओं को ही ये जानकारी नहीं दी, बल्कि विपक्ष के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह को भी फ़ोन कर ये बताया कि वो इस्तीफ़ा देने जा रहे हैं. लेकिन कमलनाथ ने ऐसा क्यों किया इसके लिए आपको दिसंबर 2018 की एक घटना के फ़्लैश बैक में जाना पड़ेगा.
दरअसल दिसंबर में 2018 को जब विधानसभा चुनाव नतीज़े आए थे, तब न तो बीजपी को बहुमत आया और न ही कांग्रेस को. 230 सीटों वाली मध्यप्रदेश विधानसभा में बीजपी को 109 और कांग्रेस को 114 सीटें आयी थीं, जबकि बहुमतके लिए किसी भी दल को 116 सीट चाहिए थे.
मतगणना के दूसरे दिन सुबह कमलनाथ ने तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को फोन किया. इससे पहले कि कमलनाथ शिवराज से कुछ कहते, शिवराज ने कहा था कि मैं इस्तीफ़ा देने जा रहा हूं. मध्यप्रदेश की जनता ने आपको मैंडेट दिया है, आप सरकार बनाइए. इसके बाद कमलनाथ ने शिवराज के घर आकर उनसे मुलाकात की थी, जिसे उस वक्त एक शिष्टाचार मुलाकात कहा गया था. ज़ी न्यूज़ से खास बातचीत में शिवराज सिंह चौहान ने इस बात का खुलासा किया.
कहते हैं न कि इतिहास अपने आप को दोहराता है. 15 महीने बाद 20 मार्च 2018 को जब कमलनाथ बहुमत जुटाने में असफल रहे और 12 बजे प्रेस कॉन्फ्रेंस करने जा रहे थे, उससे पहले उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह को फ़ोन कर बताया कि मैं मुख्यमंत्री पद से इस्तीफ़ा देने जा रहा हूं. उस वक़्त शिवराज सिंह बीजपी के 105 विधायकों के साथ सीहोर के रिसोर्ट से निकलकर विधानसभा जा रहे थे, जहां कमलनाथ सरकार को 2 बजे अपना बहुमत साबित करना था.
शिवराज सिंह चौहान इस बीच विधानसभा भी गए. बीजपी विधायको के साथ पार्टी दफ़्तर भी गए, लेकिन इन सभी व्यस्तताओं के बीच भी उन्होंने कमलनाथ से फोन पर समय मांगा और शाम 6.30 बजे जाकर उनसे मुलाकात की. अब कौन कह सकताहै कि नेता संजीदा नहीं होते.
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