By DAYANAND MOHITE | published: मई 28, 2019 02:25 PM 2019-02-12T14:15:30+5:30
शहर : राष्ट्रीय
लोकसभा चुनाव 2019 का रिजल्ट आने के बाद से बीजेपी के दफ्तरों में जश्न का माहौल है, वहीं कांग्रेस दिल्ली से लेकर अलग-अलग मुख्यालयों में सन्नाटा पसरा हुआ है. रिजल्ट आने के दो दिन बाद ही कांग्रेस ने करारी हार की समीक्षा के लिए पार्टी की थिंक टैंक टीम यानी सीडब्ल्यूसी की बैठक बुला ली. कांग्रेस की पूरी कार्यप्रणाली कांग्रेस वर्किंग कमेटी (CWC) के इशारे पर चलती है. इस कमेटी के सदस्य ही पार्टी की पूरी रणनीति तैयार करते हैं. गौर करने वाली बात यह है कि बेहद बुरे दौर से गुजर रही कांग्रेस की थिंक टैंक टीम CWC के ज्यादातर सदस्य सक्रिय राजनीति से दूर हैं. कांग्रेस की आधिकारिक वेबसाइट के मुताबिक कांग्रेस की CWC में कुल 25 सदस्य हैं. आइए CWC के सदस्यों पर एक नजर डालते हैं.
सोनिया गांधी-: एक बार फिर से उत्तर प्रदेश के रायबरेली से सांसद बनी हैं. हालांकि सोनिया साल 2014 के लोकसभा चुनाव से ही लगभग सक्रिय राजनीति से दूर हैं. 2019 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने एक भी रैली नहीं की थीं. 72 वर्षीय सोनिया के नेतृत्व में भले ही कांग्रेस केंद्र में दो बार यूपीए की सरकार बना चुकी है. करीब पांच साल से सोनिया पर्दे के पीछे रहकर ही पार्टी का काम देख रही हैं.
मनमोहन सिंह-: पूर्व प्रधानमंत्री डॉक्टर मनमोहन सिंह भी CWC के सदस्य हैं. वे राज्यसभा सांसद हैं. 86 वर्षीय मनमोहन सिंह भले ही दो बार प्रधानमंत्री रहे, लेकिन वे हमेशा खुद को मुख्यधारा की राजनीति से दूर रखा. इस बार के लोकसभा चुनाव में उन्होंने एक भी रैली नहीं की.
अहमद पटेल-: सोनिया गांधी के राजनीतिक सलाहकार रहे अहमद पटेल भी लंबे समय से मुख्य धारा की राजनीति से दूर हैं. 69 वर्षीय अहमद पटेल गुजरात से आते हैं, लेकिन उनके गृह जिले में ही कांग्रेस लंबे समय से सत्ता से बाहर है. पटेल भी राज्यसभा सांसद हैं.
एके एंटनी-: 78 वर्षीय केरल के पूर्व मुख्यमंत्री और पूर्व रक्षामंत्री एंटनी लंबे समय से मुख्य धारा की राजनीति से बाहर हैं. वे चुनाव भी नहीं लड़ते हैं. 2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की हार पर उन्होंने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि कांग्रेस की छवि मुस्लिमों के तुष्टीकरण की छवि बन गई है, इससे पार्टी को बाहर लाया जाना चाहिए. लेकिन उनकी रिपोर्ट पर कोई ध्यान नहीं दिया गया.
अंबिका सोनी-: ये राज्यसभा सांसद जरूर हैं, लेकिन कभी भी जनता के बीच लोकप्रिय नहीं रहीं. 76 वर्षीय अंबिका ने लंबे समय से लोकसभा या विधानसभा चुनाव भाग्य नहीं आजमाई हैं.
गुलाम नबी आजाद-: जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री सक्रिय राजनीति में बने रहते हैं. कर्नाटक में सरकार बनाने में इन्होंने अहम रोल निभाया था. 70 वर्षीय गुलाम भी लंबे समय से लोकसभा चुनाव से अलग हैं. वह भी राज्यसभा के ही सदस्य हैं.
मोतीलाल वोरा-: गांधी परिवार के सबसे खास लोगों में से एक हैं. 90 वर्षीय वोरा लंबे समय से राज्यसभा सांसद हैं. इन्होंने लंबे समय से ना कोई चुनाव लड़ा है और ना ही किसी राज्य में पार्टी की चुनाव जिम्मेदारी संभाली है.
मल्लिकार्जुन खड़गे-: 2014 के लोकसभा चुनाव के बाद कांग्रेस ने 76 वर्षीय मल्लिकार्जुन खड़गे को लोकसभा में अपना नेता बनाया था, लेकिन इस बार वह चुनाव हार गए हैं. कर्नाटक में सरकार होने के बावजूद खड़गे वहां कांग्रेस को सीटें नहीं जितवा पाए.
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