By DAYANAND MOHITE | published: नवंबर 27, 2019 12:01 PM 2019-02-12T14:15:30+5:30
शहर : राष्ट्रीय
लगातार जारी गतिरोध, सियासी उठापटक, दल-बदल और कोर्ट-कचहरी के बाद फाइनली वह घड़ी आ ही गई है, जब महाराष्ट्र की विधानसभा को मुख्यमंत्री नसीब होने वाला है. उद्धव ठाकरे इसे बाला साहेब ठाकरे को अपना दिया गया वचन पूरा होने के नजरिए से देख रही है तो, वहीं भाजपा इसे मुंह में आया कौर चला जाने के तर्क से भी देख रही है. महीने भर से जारी घटनाक्रम में मोड़ तब आया, जब शनिवार तड़के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेकर सभी को चौंकाने वाले देवेंद्र फडणवीस को साढ़े तीन दिनों में ही पद से इस्तीफा देना पड़ा. इससे पहले शुक्रवार रात उद्धव ठाकरे सीएम बनने वाले थे.
फडणवीस ने जितनी तेजी से मुख्यमंत्री पद की शपथ ली, उतना ही कम समय उन्हें इस्तीफा देने में लगा. मंगलवार सुबह सुप्रीम कोर्ट ने 24 घंटे में शक्ति परीक्षण कराने का आदेश दिया और उसके कुछ ही घंटे बाद देवेंद्र फडणवीस ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इस्तीफा देने की घोषणा कर दी. हालांकि वह पहले ऐसे मुख्यमंत्री नहीं हैं, जो महज चंद दिनों के लिए ही सत्ता में रह पाए हों. विरोध-समर्थन और विश्वास जैसे शब्दों और इन्हीं मूल्यों पर टिकने वाली सरकार नाम की प्रणाली पहले भी कई बार गिरती रही है. वजह, बहुमत हासिल न कर पाना. ऐसे नामों की एक बड़ी सूची है.
जगदम्बिका पाल : तीन दिन
वह साल 1998 का दौर था. उस साल उत्तर प्रदेश में ऐसा ही राजनीतिक नाटक खेला गया. तब यूपी के राज्यपाल रहे रोमेश भंडारी ने कल्याण सिंह को बर्खास्त कर जगदम्बिका पाल को 21 फरवरी को सीएम बना दिया था. कल्याण इसके खिलाफ कोर्ट चले गए. अदालत के हस्तक्षेप के बाद 23 फरवरी को जगदम्बिका पाल को उन्हें इस्तीफा देना पड़ा.
बीएस येदियुरप्पा : तीन दिन और 8 दिन
पिछले साल कर्नाटक मे चला राजनीतिक नाटक अभी तक आंखों पर चढ़ा है. बीएस येदियुरप्पा ने बिना बहुमत के ही 17 मई को सीएम पद की शपथ ले ली. लेकिन सदन में शक्ति परीक्षण से पहले ही 19 मई को इस्तीफा दे दिया. भाजपा नेता येदियुरप्पा के लिए यह पहला मौका नहीं था. 2007 में उन्होंने 12 जुलाई को शपथ ली और 17 जुलाई को इस्तीफा दे दिया.
ओम प्रकाश चौटाला : 6 दिन
हरियाणा के दिग्गज नेता ओम प्रकाश चौटाला 1990 में 12 जुलाई को दोबारा सीएम चुने गए थे. मगर 17 जुलाई को ही उन्हें इस्तीफा देना पड़ा.
8 दिन सीएम रहे थे नीतीश
अभी से तकरीबन 19 साल पहले बिहार में भी ऐसी ही स्थिति बनी थी. वर्ष 2000 में नीतीश ने शक्ति परीक्षण से पहले ही इस्तीफा दे दिया था. बहुमत से 8 विधायक कम होने के बावजूद उन्होंने 3 मार्च को शपथ ले ली, लेकिन 10 मार्च को उन्हें इस्तीफा देना पड़ा.
एससी मारक : 12 दिन
साल 1998 में मेघालय के मुख्यमंत्री एससी मारक की सरकार सिर्फ 12 दिन ही चल सकी थी. उन्होंने 27 फरवरी को शपथ ली और 10 मार्च को इस्तीफा दे दिया. इसके अलावा झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री शिबू सोरेन राज्य का पहला सीएम बनना चाहते थे, लेकिन उनका सपना साकार नहीं हुआ. 2005 में भी उन्हें दस दिनों 2 मार्च से 12 मार्च में इस्तीफा देना पड़ा.
मुख्यमंत्री का नाम साल समय (कितने दिन तक रहे मुख्यमंत्री) राज्य
जगदंबिका पाल 1998 24 घंटे उत्तर प्रदेश
बीएस येदियुरप्पा (बीजेपी) 2018 3 दिन कर्नाटक
बीएस येदियुरप्पा (बीजेपी) 2007 8 दिन कर्नाटक
सतीश प्रसाद सिंह 1968 5 दिन बिहार
शिबू सोरेन (झामुमो) 2005 9 दिन झारखंड
बी पी मंडल 1968 31 दिन बिहार
ओम प्रकाश चौटाला 1990 5 दिन हरियाणा
ओम प्रकाश चौटाला 1991 4 दिन हरियाणा
एस सी मराक 1998 3 दिन मेघालय
जानकी रामचंद्रन 1988 23 दिन तमिलनाडु
सी एच मोहम्मद कोया 1979 45 दिन केरल
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