By DAYANAND MOHITE | published: दिसंबर 01, 2019 12:59 PM 2019-02-12T14:15:30+5:30
शहर : मुंबई
शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना का लेख पूरी तरह से एनसीपी प्रमुख शरद पवार को समर्पित कर दिया है. सामाना के कार्यकारी संपादक संजय राउत द्वारा लिखे गए इस लेख में देवेंद्र फडणवीस पर निशाना साधा गया है जबकि अपने सहयोगियों एनसीपी और कांग्रेस की तारीफ की गई है.
लेख में लिखा है, महाराष्ट्र में विपक्ष शेष नहीं रहेगा तथा पवार की राजनीति खत्म हो चुकी है, ऐसी हास्यास्पद बातें श्री देवेंद्र फडणवीस ने की थी. यह उन्हीं पर उल्टी पड़ गई. उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री बन गए. पवार ने जो उनके मन में था, वो करके दिखा दिया. ये अच्छी शुरुआत है.
लेख में कहा गया है कि शरद पवार के बगैर राजनीति नीरस और रुचिहीन है. शरद पवार ठान लें तो कोई भी उथल-पुथल मचा सकते हैं, इस पर एक बार फिर विश्वास करना पड़ा है.
लेख में सामना ने सोनिया गांधी और कांग्रेस को आघाड़ी का हिस्सा बनने के लिए भी शरद पावर को पूरा श्रेय दिया है. शरद पवार ने अगुवाई नहीं की होती तो आज महाराष्ट्र में परिवर्तन नहीं हुआ होता. इस तरह की किसी सरकार का निर्माण हो सकता है, इस पर प्रारंभ में शरद पवार भी विश्वास करने को तैयार नहीं थे. शरद पवार पहले सोनिया गांधी से मिले तब सोनिया गांधी ने भी यह प्रस्ताव स्वीकार नहीं किया. शिवसेना के साथ कैसे जाएं? ये उनका पहला सवाल था तथा अल्पसंख्यकों व हिंदीभाषी क्षेत्र में क्या प्रतिक्रिया होगी? ऐसी आशंका उन्होंने व्यक्त की.
शरद पवार ने सोनिया गांधी से कहा, बालासाहेब ठाकरे व इंदिरा गांधी के मधुर संबंध थे. आपातकाल के बाद महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव के दौरान शिवसेना ने कांग्रेस के विरोध में उम्मीदवार खड़े नहीं किए. प्रतिभाताई पाटील और प्रणव मुखर्जी इन राष्ट्रपति पद के ‘कांग्रेस’ उम्मीदवारों को शिवसेना समर्थन दे इसलिए आप हम स्वयं बालासाहेब ठाकरे से मिले थे. मुंबई के हिंदीभाषी शिवसेना को वोट देते हैं इसलिए महानगरपालिका में शिवसेना की सत्ता आती रही है, ऐसी जानकारी श्री पवार ने सोनिया को दी.
पश्चिम बंगाल के कई हिस्सों में सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस और पांव पसार रही भ....
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